Monday, October 19, 2009

कल्पना कितनी निश्छल होती है कभी सोच के देखो। कल्पना का सुख भोग के देखो। कहतें हैं सपने सबसे सुखदाई होते हैं लेकिन उसमे भी कुछ बुरे मिल जाते हैं लेकिन कल्पना उस बीज की तरह है जिसे आप ख़ुद बोते हो ख़ुद काटते हो। कल्पना की अभिव्यक्ति आगे दूंगा।

Thursday, October 15, 2009

कितने पीछे होते जा रहे हैं हम। मेरे साथी बोलतें हैं की तुमने बहुत तरक्की की । राजधानी के अच्छे इलाके में रहते हो । तुम्हारे पास गाड़ी है । सभी सुबिधायें हैं । लेकिन क्यों मुझे लगता है की मैं लोगों से पीछे होता जा रहा हूँ । मुझे गावों का लोक गीत पसंद । कभी बचपन के खेलों को खेलने की कोशिश करता हूँ ।गांव के तालाबों में मैंने खूब नहाया उस समय मुझे कोई बीमारी नही हुई लेकिन अब स्वीमिंग पुल में सर्दी हो जाती है । डॉक्टर मुझे स्वीमिंग पूल में नही नहाने की सलाह देते है । जब कोई नया पॉप गाना आता है मेरे दोस्त और पड़ोसी कहतें हैं की आवाज थोडी तेज कर दो लेकिन जो मुझे अच्छा लगता है उसको सुनाने में मुझे डर लगता है ।
जिनके साथ मुझे रहने में अच्छा लगता है उन्हें मेरी पसंद से एतराज है आगे .........

Sunday, August 30, 2009

आज हम एक इतिहास लिखने जा रहें हैं आप को हैरानी होगी मई समझ सकता हूँ

Saturday, November 22, 2008

social crush

The bigiening of Social crush